ऐसी खबर पढ़ने में आती है कि कोई शातिर किसी मृत व्यक्ति के बीमा की रकम (Insurance Claim) हड़पने के लिए तरह-तरह की साजिश रचते हैं। बिहार के एक वकील ने तो जीवित व्यक्ति को ही मरा हुआ दिखा कर बीमा कंपनी (Insurance Company) से इंश्योरेंस क्लेम के 10 लाख रुपये झटक लिए। लेकिन बाद में उसका कारनामा उजागर हो गया तो कंपनी ने पटना के गांधी मैदान पुलिस थाना में FIR दर्ज करा दी है।

क्या है वाकया
यह वाकया उत्तरी बिहार में मधुबनी जिले का है। वहां के एक वकील आशुतोष कुमार झा ने पप्पू कुमार नामक व्यक्ति को मृत दिखाकर उसके नाम पर तमाम फर्जी कागजात बनाया। फिर बीमा कंपनी श्रीराम जनरल इंश्योरेंस (Shriram General Insurance) से 10 लाख रुपये वसूल लिया। दरअसल, वकील आशुतोष कुमार झा श्रीराम जनरल इंश्योरेंस में एडवोकेट के रूप मे पैनल में शामिल थे। उन्होंने 8 अगस्त, 2023 को कंपनी के पटना ऑफिस को बताया कि मधुबनी अदालत में कंपनी के खिलाफ क्षतिपूर्ति क्लेम चल रहा है। इसके साथ ही उन्होंने इस क्लेम के सारे दस्तावेज भी कंपनी को उपलब्ध करवाए। इस आवेदन के अनुसार, मृतक पप्पू कुमार की 22 जुलाई, 2023 को मोटर दुर्घटना में मौत हो गई थी।

वकील ने दी गलत जानकारी
आशुतोष कुमार झा ने श्रीराम जनरल इंश्योरेंस को जानकारी दी कि उसके द्वारा भेजे गए सारे दस्तावेज सही हैं। साथ ही अदालत ने उक्त प्रकरण को राष्ट्रीय लोक अदालत में समझौते के लिए कहा है। कंपनी ने आशुतोष झा द्वारा उपलब्ध करवाए गए कागजातों को सही मानकर समझौते को कहा। इसके बाद 9 सितंबर, 2023 को वकील ने कंपनी को बताया कि उक्त प्रकरण का 10 लाख रुपये में समझौता हो गया है।

मृतक की पत्नी के नाम भेज दिया चेक
आशुतोष झा ने राष्ट्रीय लोक अदालत के समझौते की प्रति, जिस पर न्यायिक अधिकारी के हस्ताक्षर तथा अदालत की मुहर लगी हुई थी, को अपने फीस बिल के साथ कंपनी को भेज दिया। कंपनी ने इसके बाद मृतक की पत्नी प्रिया के नाम से 10 लाख रुपये का चेक बनाकर वकील को भेज दिया। इस चेक का बाद में भुगतान भी कंपनी के खाते से हो गया।

एक और केस में ऐसा ही किया
आशुतोष कुमार झा ने इसी प्रकार से एक अन्य क्लेम केस जो कि सीमा बनाम श्रीराम जनरल इंश्योरेंस था, में भी सारे दस्तावेज उपलब्ध कराकर बताया कि संजय साफी की मौत मोटर दुर्घटना में हो गई है। बीमा कंपनी के खिलाफ केस चल रहा है। कंपनी को कहा कि उक्त दस्तावेज सही हैं तथा प्रकरण को लोक अदालत में समझौता करने में ही भलाई है। इस पर कंपनी उसकी बात को विश्वास करते हुए समझौते के ल‌िए राजी हो गई। आशुतोष ने इस मामले में 11.50 लाख रुपये में समझौता कर लोक अदालत के 9 दिसंबर, 2023 के समझौते की प्रति और अपना फीस का बिल भी कंपनी को भेज दिया।

बीमा कंपनी को हो गया शक
इस बार श्रीराम जनरल इंश्योरेंस को शक हो गया। इसके बाद उसने जब जांच की तो पता चला कि जो भी संबंधित कागजात सौंपे गए हैं, उनके रिकॉर्ड पुलिस स्टेशन में नहीं हैं। यह भी पता चला कि आशुतोष झा द्वारा पेश किए गए सभी दस्तावेज फर्जी हैं। साथ ही अदालत में भी ऐसा कोई प्रकरण नहीं चल रहा है। ऐसे किसी व्यक्ति की मौत भी नहीं हुई है और बताए गए पते पर इस नाम का कोई भी व्यक्ति नहीं रहता है। साथ ही अदालत के आदेश तथा दस्तावेज भी फर्जी पाए गए।

बड़ी मुश्किल से कबूली सच्चाई
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस के एक अधिकारी ने एनबीटी को इस मामले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कंपनी की तरफ से जब आशुतोष को बताया गया कि उक्त दस्तावेज सही नहीं है तो उसने पहले तो कहा कि सारे दस्तावेज सही हैं। उनकी अदालत से प्रमाणित प्रतिलिप भी कंपनी को दे दिया। परंतु जब कंपनी ने गहनता से पूछताछ की आशुतोष ने दस्तावेजों के फर्जी होने की बात मान ली और समझौते को अदालत द्वारा निरस्त करवा कर उसकी प्रमाणित प्रति कंपनी को भेज दी जो फर्जी थी। इस पर कंपनी ने इस बार भुगतान नहीं किया। कंपनी ने इस मामले में स्थानीय पुलिस स्टेशन में आशुतोष के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। एनबीटी डिजिटल के पास इस एफआईआर की कॉपी है।

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